देख ही लेती हूँ मै उसको

देख ही लेती हूँ मै उसको दूर गगन की किस बदली में,जाने मेरा चाँद छुपा है,कौन भला उसे ढ़ूँढ़ के लायेकिसी को मेरी फिक्र कहाँ है,मै तो हूँ बस आँख उठाए किकब काली बदली छँट जाये,और मेरी सूनी आँखों मे,मुझको मेरा चाँद दिखाए,मै बर्षों से चौथ उपासी,पानी की दो बूँद को प्यासी,बस एक ही आस … Continue reading देख ही लेती हूँ मै उसको