देखा है जब से तुम्हें | Poem dekha hai jab se

देखा है जब से तुम्हें ( Dekha hai jab se tumhe )    देखा है जब से तुम्हें दिल में ख़ुशी है बहुत ये आजकल धड़कनों में बेकली है बहुत   मैं सच कहूं भूल पाया ही नहीं हूँ तुझको तुझसे मुझे आज भी ये आशिक़ी है बहुत   जो कल तलक था मेरा दुश्मन … Continue reading देखा है जब से तुम्हें | Poem dekha hai jab se