देश से ( Desh se ) हर अदू भागते ही रहे देश से जुल्म का हर निशाँ ही मिटे देश से लौट आये वो अपने वतन भारत में दूर परदेश में ही गये देश से प्यार के फूल हर घर खिले ऐ लोगों नफ़रतों के कांटे ही जले देश से हो न मासूम पर … Continue reading देश से | Desh se
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