दिल तो करता है कि | Dil to Karta Hai Ki
दिल तो करता है कि ( Dil to Karta Hai Ki ) धूप को बांध एक गठरी मेंहवा का रुख मोड़ दूं … सहरा की तपती रेत मेंपानियों की बौछार कर दूं… दिल को भींच हाथों मेंलहू हलक में उसके उतार दूं… उधड़ती बुनती ज़िंदगी कोऊन का गोला सा बना उछाल दूं… क्या कहेगा कोई, … Continue reading दिल तो करता है कि | Dil to Karta Hai Ki
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