दिवाली ( Diwali ) तेरी भी दिवाली है, मेरी भी दिवाली है, जब दीप जले मन का, तब सबकी दिवाली है। सरहद पे दिवाली है, पर्वत पे दिवाली है, जिस-जिस ने लुटाया लहू उन सबकी दिवाली है। खेतों में दिवाली है, खलिहान में दिवाली है, गुजरे जिस राह कृषक, उस राह दिवाली … Continue reading दिवाली | Diwali ke upar poem
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