दिवाली | Diwali ke upar poem

दिवाली ( Diwali )   तेरी भी दिवाली है, मेरी भी दिवाली है, जब दीप जले मन का, तब सबकी दिवाली है।   सरहद पे दिवाली है, पर्वत पे दिवाली है, जिस-जिस ने लुटाया लहू उन सबकी दिवाली है।   खेतों में दिवाली है, खलिहान में दिवाली है, गुजरे जिस राह कृषक, उस राह दिवाली … Continue reading दिवाली | Diwali ke upar poem