दो जून की रोटी | Do joon ki roti | Kavita

दो जून की रोटी ( Do joon ki roti )     रोटियाँ…रोटियाँ… रोटियाँ… रोटियाँ….   आगे पीछे उसके दुनिया है घूमती वास्ते उसी के, चरणों को चूमती बेमोल बेंच देता है, ईमान आदमी सामने नजर के,जब वो है घूमती।।   उपदेश सारे बंद किताबों में कीजिए भूख में नजर बस, आती है रोटियां।।   … Continue reading दो जून की रोटी | Do joon ki roti | Kavita