दोस्त बनकर के रहो मत | Ghazal dost banker
दोस्त बनकर के रहो मत ( Dost banker ke raho mat ) दोस्त बनकर के रहो मत दुश्मनी मुझसे करो मत प्यार की आंखें मिलाओ मुंह चढ़ाकर के चलो मत दिल से ही अपनें भुला दो हिज्र में उसके जलो मत पढ़ ली है आंखें तुम्हारी और कुछ भी यूं कहो … Continue reading दोस्त बनकर के रहो मत | Ghazal dost banker
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