दोस्त या दुश्मन | Dost ya Dushman
दोस्त या दुश्मन ( Dost ya dushman ) लबों पे है तबस्सुम , दिल में नफ़रत बीज बोते है अदब ऐसा अग़र, ना वो कभी भी दोस्त होते हैं ॥ मिलाते हाथ यूँ ,लगती तबीयत जोशजन उनकी घुमाते पीठ पीछे साजिशे – मोती पिरोते हैं ॥ फ़रेबी रग में इनके इस क़दर ख़ाता हिलोरे … Continue reading दोस्त या दुश्मन | Dost ya Dushman
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