डॉ के एल सोनकर ‘सौमित्र’ की कविताएँ | Dr. K. L. Sonkar Poetry
क्या करूं समय है काम नहीं है काम है समय नहीं है दोनो है पैसा नहीं है पैसा है बल नहीं है बल है तीनो नहीं है सब है सम्मान नहीं है आखिर तुम्हीं बताओ मैं क्या करूं इस अनियंत्रित; अव्यवस्थित समाज व्यवस्था में रहकर ? दीवार लगता है ये दीवार कितनी … Continue reading डॉ के एल सोनकर ‘सौमित्र’ की कविताएँ | Dr. K. L. Sonkar Poetry
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed