लगे | Dr. Kaushal Kishore Srivastava Poetry
लगे ( Lage ) जड़ जगाने में जिनको जमाना लगा । उन दरख्तों को पल में गिराने लगे ।। उनकी इतनी हवस कि खुदा क्या करे ? सारे दुनिया के भी कम खजाने लगे ।। दफन खुद में ही अब शख्श होने लगे । ताले खुद ही जुवा पे लगाने लगे ।। … Continue reading लगे | Dr. Kaushal Kishore Srivastava Poetry
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