फिर क्यों?

फिर क्यों? हम बंटेंगे तो कटेंगे  फिर क्यों बंटे हैं? जातियों में  धर्मों में  ऊॅंच में  नीच में  शिकार हो रहे हैं – केवल गरीब  लुट रहे हैं – केवल बदनसीब  मारे जा रहे हैं – पेट के भूखे।  लोकतंत्र की पद्धतियाॅं ऐसी नहीं है  जो तोड़ती ही नहीं  झुका देती है पेट के बल  … Continue reading फिर क्यों?