गांव की झोपड़ी | Gaon ki Jhopdi

गांव की झोपड़ी ( Gaon ki jhopdi )    गांव की झोपड़ी हो गई आज बदहाल है। सूना हुआ आंगन सारा बदल गई चाल है। बहती बयार प्यारी सी किलकारी गूंजती। टूट गए तार सारे अब बदला सुर ताल है। लगता था जमघट जहां गांव के लोगों का। बुजुर्गों का दबदबा था इलाज हर रोगों … Continue reading गांव की झोपड़ी | Gaon ki Jhopdi