गए वो दिन ( Gaye Woh Din) अजब इस दौर में हमने शरीफों का चलन देखा I डुबो के हाथ खूं में फिर बदलते पैरहन देखा II हुई बर्बाद कश्ती जो ,वजह है ना-ख़ुदा खुद ही I उजड़ता बाग़बाँ के सामने ही ये चमन देखा II किया था नाज़ जब कहते, मिरी हर शै … Continue reading गए वो दिन | Gaye Woh Din
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