पिंजरे का पंछी | Gazal Pinjre ka Panchhi

पिंजरे का पंछी ( Pinjre ka panchhi )   हुस्न के ज़ेवर यूँ मत खोल कर दे मेरी दुनिया गोल पहले बाल-ओ- पर को तोल फिर पिंजरे का पंछी खोल फिर देगी गुफ़्तार मज़ा कुछ तो इस में शीरीं घोल मौसम करता सरगोशी क्या है इरादा कुछ तो बोल फिर होगी मदहोश ग़ज़ल जाम उठा … Continue reading पिंजरे का पंछी | Gazal Pinjre ka Panchhi