जब जठराग्नि बोलती है | Geet Jab Jatharagni Bolti hai
जब जठराग्नि बोलती है (Jab jatharagni bolti hai ) धरने प्रदर्शन होती हड़तालें सारी कुर्सियां डोलती है टूट जाता है बांध सब्र का जब जठराग्नि बोलती है जन जन जब लाचार होता कोई नहीं सहारा होता भुखमरी का मारा होता सबने किया किनारा होता वर्षों तक ना बोल सके वो बात जुबानें बोलती है झूठे … Continue reading जब जठराग्नि बोलती है | Geet Jab Jatharagni Bolti hai
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