पेड़ रहा न रहे परिंदे | Geet Ped Raha na Rahe Parinde
पेड़ रहा न रहे परिंदे ( Ped Raha na Rahe Parinde ) हमें बस दाल रोटी भर जैसे दे दे रब और इससे ज्यादा तुमसे मांगे हैं कब। थके मेरे इन हाथो में वो जोड़ नहीं है जूते सी कर जीते थे वो मोड़ नहीं है रही नहीं स्थिति पहले जैसी है अब। कहते … Continue reading पेड़ रहा न रहे परिंदे | Geet Ped Raha na Rahe Parinde
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