जिंदगी ( Zindagi ) जिंदगी की भाग दौड़ में कब जिंदगी की सुबह और शाम हो गई पता ही नहीं चला। कल तक जिन मैदान में खेला करते थे कब वो मैदानों मैं बड़े-बड़े मॉल बन गए पता ही नहीं चला । कब अपने सपनों के लिए गांव शहर देश छोड़ दिया माता-पिता को … Continue reading जिंदगी | Zindagi
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