देखा इक दिन | Ghazal Dekha ek Din
देखा इक दिन ( Dekha ek Din ) आंख दुश्मन की लाल कर रख दी हेकड़ी सब निकाल कर रख दी हाल आलस का ये हमारे है आज की कल पे टाल कर रख दी सच का परचम लगा है लहराने फिर हक़ीक़त निकाल कर रख दी हाथ उसके लगा नहीं कुछ पर सारी पेटी … Continue reading देखा इक दिन | Ghazal Dekha ek Din
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed