Sad Ghazal | दिल से ही रोज़ आहें निकलती रही
दिल से ही रोज़ आहें निकलती रही ( Dil se hi roz aah nikalti rahi ) दिल से ही रोज़ आहें निकलती रही! जीस्त यादों में उसकी गुजरती रही कब मिला है ठिकाना ख़ुशी का कोई जिंदगी रोज़ ग़म में भटकती रही डूब रही है ये बेरोजगारी में ही जिंदगी कब यहां … Continue reading Sad Ghazal | दिल से ही रोज़ आहें निकलती रही
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