क्या लिखूं मैं | Ghazal Kya Likhun Main

क्या लिखूं मैं ( Kya Likhun Main ) क्या लिखूं मैं शाइरी में दर्द आंसू ज़िंदगी में वो नज़र आया नहीं है खूब ढूँढ़ा हर गली में भूल जा तू याद उसकी रख नहीं आँखें नमी में इस कदर बेरोज़गारी ज़ीस्त गुज़रे मुफलिसी में हाथ उससे तू मिला मत है दग़ा उस दोस्ती में दोस्त … Continue reading क्या लिखूं मैं | Ghazal Kya Likhun Main