रोज़ बदलता है इंसान | Ghazal roz badalta hai insaan

रोज़ बदलता है इंसान  ( Roz badalta hai insaan )   रोज़ बदलता है इंसान भी हालात के साथ जैसे कि बदलते हो दिन कोई रात के साथ।   कर ली है भूल, कर गुज़रे थे हम भी इश्क़ अब कि बार हम रहेंगे भी तो हयात के साथ।   वैसे भी दोस्त अक़्ल से … Continue reading रोज़ बदलता है इंसान | Ghazal roz badalta hai insaan