मुहब्बत में यहाँ रुस्वा करे कोई | Ghazal ruswa
मुहब्बत में यहाँ रुस्वा करे कोई ! ( Muhabbat mein yahan ruswa kare koi ) मुहब्बत में यहाँ रुस्वा करे कोई ! निगाहों से ऐसे देखा करे कोई असर ऐसा मगर हो दोस्ती का ही यहाँ हो वो मुझे ढूंढ़ा करे कोई नहीं उसके गया हूँ घर मगर मैं फ़िर मुझी … Continue reading मुहब्बत में यहाँ रुस्वा करे कोई | Ghazal ruswa
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