सियासती बुरके पहनकर,वो बग़ावत कर रहे हैं | Ghazal

सियासती बुरके पहनकर,वो बग़ावत कर रहे हैं ( Siyasati burka pahan kar wo bagawat kar rahe hain )   सियासती बुरके पहनकर,वो बग़ावत कर रहे हैं !!– हर तरह से इस वतन में,रोज वहशत भर रहे हैं !!–   कहते – करना चाहते हैं, रहते लोगों की भलाई जुल्म सहते लोग उनसे,पर हिकारत कर रहे … Continue reading सियासती बुरके पहनकर,वो बग़ावत कर रहे हैं | Ghazal