तितली लगती है | Ghazal Titli Lagti Hai
तितली लगती है ( Titli Lagti Hai ) माह धनक खुशरंग फ़जा तितली लगती है पाक़ीज़ा फूलों सी वो लड़की लगती है। सौदा बेच रही है वो ढॅंक कर पेशानी बातों से ढब से सुलझी सच्ची लगती है। देख के उसको दिल की धड़कन बढ़ जाती है ना देखूं तो सांस मेरी रुकती लगती है। … Continue reading तितली लगती है | Ghazal Titli Lagti Hai
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