जिक्र होता रहा सियासत का

जिक्र होता रहा सियासत का   जिक्र होता रहा सियासत का औ दिखावा किया हिफ़ाजत का दिल मे पाले रहे सदा नफरत और बहाना किया सदाकत का जुल्म पर जुल्म की बरसात हुई ढोंग चलता रहा सलामत का पास तो बैठे थे वो पहलू में जज्बा पाले हुए अदावत का मेरे ही संग उनकी साँसे … Continue reading जिक्र होता रहा सियासत का