घूंघट न होता तो कुछ भी न होता

घूंघट न होता तो कुछ भी न होता   न सृष्टि ही रचती न संचार होता। घूंघट न होता तो कुछ भी न होता। ये धरती गगन चांद सूरज सितारे, घूंघट के अन्दर ही रहते हैं सारे, कली भी न खिलती न श्रृंगार होता।। घूंघट ० घटायें न बनती न पानी बरसता, उर्ध्व मुखी पपिहा … Continue reading घूंघट न होता तो कुछ भी न होता