हाल-ए-दिल | Hal-E- Dil | Ghazal

हाल-ए-दिल का मत पूछ मेरे यार ( Hal-e-dil ka mat poochh mere yar )   सीने पे देखु तो दर्द का खबर लगता है मेरे ज़ख्म-ए-दिल लोगो को तमाशा का नगर लगता है   अब बसेरा कर चूका हूँ बीरान शहर में जहाँ कहीं यहाँ अपना ही घर लगता है   हाल-ए-दिल का मत पूछ … Continue reading हाल-ए-दिल | Hal-E- Dil | Ghazal