हमारे कभी ( Hamare Kabhi ) चाँद उतरा न आँगन हमारे कभीउसका वादा था होगें तुम्हारे कभी झूठ वह बोलकर लूटता ही रहाथा यकीं की बनेंगे सहारे कभी दुख ग़रीबों का मालूम होगा तभीमेरी बस्ती में इक दिन गुज़ारे कभी मुझको अरमान यह एक मुद्दत से हैनाम मेरा वो लेकर पुकारे कभी हमसफ़र बन के … Continue reading हमारे कभी | Hamare Kabhi
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