चामुण्डा बरस पड़ी | Hasya kavita

चामुण्डा बरस पड़ी ( Hasya kavita )   बहुत बड़ा कवि नहीं हूं मामूली कलमकार हूं अंगारों की सड़क पर बहती ठंडी बयार हूं   कविता करते-करते श्रीमती ने मुझे रोका अनजाने में बिफरकर बार बार मुझे टोका   कविता में बाधा देख कर मुझे गुस्सा आ गया मैं श्रीमती को एक जोरदार तमाचा लगा … Continue reading चामुण्डा बरस पड़ी | Hasya kavita