लक्ष्य | Hindi poem on Lakshya

लक्ष्य ( Lakshya )    हर मानव का सपना होता, आगे तक बढ़ता जाऊं। लक्ष्य धार चलूं प्रगति पथ पर निश्चय मंजिल को पाऊं।। बचपन में कुछ भान नहीं था, खेलकूद में समय गया। योग्य बनूंगा पढ़ लिखकर के, भरी जवानी मोद भया। मात-पिता की हुई दया तब, नव जीवन पा हरषाऊं। लक्ष्य धार चलूं … Continue reading लक्ष्य | Hindi poem on Lakshya