मेरी सरगोशियाँ | Hindi poetry meri shargoshiyan

मेरी सरगोशियाँ ( Meri shargoshiyan )   मैं मेरे मन के एहसास को संजोकर उसके प्रेम की अनुभूति को लिखने चला मेरे ख्यालों में मेरे ख्वाबों में वो आकर मेरे जज्बातों की अग्नि को प्रदीप्त कर दी आकर कानों कुछ सरगोशियां की कितने दीवाने हो तुम मेरे प्यार में ये तुम्हारा पागलपन है क्यों करते … Continue reading मेरी सरगोशियाँ | Hindi poetry meri shargoshiyan