हम पंछी उन्मुक्त गगन के | Hum Panchi Unmukt Gagan ke
हम पंछी उन्मुक्त गगन के ( Hum Panchi Unmukt Gagan ke ) धूप की पीली चादर को, हरी है कर दें, तोड़ के चाॅद सितारे, धरती में जड़ दें, सब रंग चुरा कर तितली के, सारे जहाॅ को रंगीन कर दें, हम पंछी उन्मुक्त गगन के, उड़ें उड़ान बिना पंखों के, अपने काल्पनिक विचारों को, … Continue reading हम पंछी उन्मुक्त गगन के | Hum Panchi Unmukt Gagan ke
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