दर्द ए दास्तां | Hunkar ki dard -e- dastan
दर्द – ए – दास्तां ( Dard -e- dastan ) 1. दर्द – ए – दास्तां दर्द ए दास्तां लिख करके भी, दर्द बता ना पाया मैं। वो उलझा था अपने ग़म में, अपना कहाँ दिखाया मैं। दुनियादारी में उलझा वो, मेरा मन उलझा उसमे, बालसखा सी दर्द हमारी,दूर ना उससे जा पाया … Continue reading दर्द ए दास्तां | Hunkar ki dard -e- dastan
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