हुस्ने खिलता गुलाब है आज़म

हुस्ने खिलता गुलाब है आज़म     हुस्ने खिलता गुलाब है आज़म ऐसा वो तो शबाब है आज़म   मैं पीना चाहता हूँ अब खुशियां पीली ग़म की  शराब है आज़म   कैसे करता मैं फ़ोन तुझको ही फ़ोन मेरा ख़राब है आज़म   रह गयी प्यार की बातें लब पे दें गया कब ज़वाब … Continue reading हुस्ने खिलता गुलाब है आज़म