इश्क़-ए-दरख़्त | Ishq-e-darakht

इश्क़-ए-दरख़्त ( Ishq-e-darakht )    खिड़कियों से आती हवा के झोंके सी सुहानी, मन के भीतर धुंधलाती यादों सी रूमानी, मैं कौन, अधुरी सी एक प्रेम कहानी आँसुओं से भीगी; कुछ जिस्मानी कुछ रूहानी..   मरूधरा पर उठते थमते कुंठा और संशय के बवंडर कुछ जद्दोजहद करते, दम तोड़ते भावों के भवँर मैं कौन, रात्रि … Continue reading इश्क़-ए-दरख़्त | Ishq-e-darakht