जज़्बात ( Jazbaat ) राख हुये एहसासों को हवा न दो कहीं भड़क न जाये सुलगता शरारा कोई दफन हो चाहे जिस्म कब्र में मगर सुना है भटकती रूहें कुछ ज्यादा जज्बाती हो जातीं हैं.. लेखिका :- Suneet Sood Grover अमृतसर ( पंजाब ) यह भी पढ़ें :- सोच चुप है | Soch shayari
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