जीवन और मृत्यु | Jeevan aur Mrityu

….जीवन और मृत्यु…. ( Jeevan aur mrityu )    जन्म और मृत्यु के मध्य ही तो संसार है यह उक्ति ही सर्वथा निराधार है वर्तमान तो अतीत के प्रारब्ध का सार है इसमें का कर्म ही भविष्य का द्वार है… लिप्त हो जाना ही लुप्त हो जाना है मोह मे फंसना ही उलझ जाना है … Continue reading जीवन और मृत्यु | Jeevan aur Mrityu