जिंदगी

जिंदगी ** जिंदगी की समझ, जिंदगी से समझ। जिंदगी से उलझ, जिंदगी से सुलझ। अबुझ है इसकी पहेली, तेरी मेरी ये सहेली। न मिलती यह सस्ती, ऊंची है तेरी हस्ती। कभी किया करो सख्ती, जो चाहो , चलती रहे कश्ती; संभालो कायदे से गृहस्थी। धीरज धैर्य संतोष रखो, अनावश्यक लोभ से दूर रहो। बातें कम, … Continue reading जिंदगी