कागा की क़लम से | Kaga ki Kalam Se
ग़ुलाम गिरी पराये पेहलू में कब तक पड़े रहोगे ,पराये भरोसे पर कब तक पंड़े रहोगे ! बड़े भोले भाले मतवाले निराले नादान होदोगली दलदल में कब तक गड़े रहोगे ! पीढ़ियां गुज़र गई ग़ुलामी की ज़ंजीरों में ,मकड़ जाल में कब तक सिकुड़े रहोगे ! हाथों में पहनी हथकड़ियां पैरों में बेड़ियां ,गहना नहीं … Continue reading कागा की क़लम से | Kaga ki Kalam Se
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