खोज जो खोजा वो पाया गोता मार गेहराई में ,सीपों में छुपे है मोती मिले गेहराई में ! बीते दिन जीवन के बेठे रहे किनारे पर ,जब ख़्याल आया खोजने का मिले गेहराई में ! कंगाल कोई नहीं सबके अंदर मोजूद माणक लाल ,डूबने का डर छलांग मारी मिले गेहराई में ! जान का ख़त़रा … Continue reading कागा की कलम | Kaga ki Kalam
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed