कही अनकही | Kahi Unkahi

कही अनकही ( Kahi Unkahi )   बीत जाता है वक्त रह जाती है सिर्फ उनकी यादें धुंधलाते से चेहरे और कहीं अनकही बातें तब होता नहीं महसूस कुछ प्रेम ,क्रोध या नाराजगी तड़पाती हैं वे ही बहुत जब बीत जाता है वक्त रह जाती है एहसास की बातें न आता है फिर वह वक्त … Continue reading कही अनकही | Kahi Unkahi