कैसे ए आज़म कहूँ अपना भला | Ghazal

कैसे ए आज़म कहूँ अपना भला! ( Kaise E Aazam Kahun Apna Bhala )     कैसे ए आज़म कहूँ अपना भला! जब यकीं में वो दग़ा करता भला   कहता है जब दोस्त हूँ सच्चा तेरा क्यों दिखाता ग़ैर  वो चेहरा भला   एक क़ातिल है वफ़ाओ का मेरी शक्ल से  ही जो मगर … Continue reading कैसे ए आज़म कहूँ अपना भला | Ghazal