बरसे न सवनवा | Barase na savanava | Kajri geet
बरसे न सवनवा ( Barase na savanava ) बहे जोर-जोर पुरवा बस पवनवा सखी बरसे न सवनवा ना ….2 जब से बरखा ऋतु है आई बदरी नभ में ना दिखाई। 2 आग बरस रहा धरती पर गगनवा ना….. सखी बरसे ०…… नदी नार सब है सूखे पेड़ रुख अब तक रूखे । 2 झूर … Continue reading बरसे न सवनवा | Barase na savanava | Kajri geet
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