कर मुहब्बत का यहाँ छाया ख़ुदा | Kar muhabbat ka yahan chaya khuda

कर मुहब्बत का यहाँ छाया ख़ुदा ( Kar muhabbat ka yahan chaya khuda )     मैं पढ़ूं कलमा करुं सज़दा ख़ुदा! जीस्त  भर  हो ऐसा लम्हा ख़ुदा   नफ़रतों की धूप ढ़ल जाये यहाँ कर मुहब्बत का यहाँ छाया ख़ुदा   जिंदगी में दोस्त कोई भेज दें हूँ बड़ा ही जीस्त में तन्हा ख़ुदा … Continue reading कर मुहब्बत का यहाँ छाया ख़ुदा | Kar muhabbat ka yahan chaya khuda