आधुनिकता | Aadhunikta

आधुनिकता ( Aadhunikta )   चाँद की हो गई, दुनिया दीवानी । तारों में बसने लगे, शहरे हमारी ।। ख्वाहिश  पूरी  हुई , इंसानो  की । दुनिया छोड़ दी,घर बनाने के लिए ।।   जल हो गई, प्रदूषित भारी । ज़हर  बन  गई, प्राणवायु ।। जिए  तो  जिए कैसे इंसान । नरक बन गई, धरती … Continue reading आधुनिकता | Aadhunikta