अधर में आदमी | Kavita adhar mein aadmi
अधर में आदमी ( Adhar mein aadmi ) अधर आदमी लटक रहा नीचे विषधर फैले हैं। भगवान रखवाला सबका जीवन के झमेले हैं। जो दिग्गज है जोर उनका वही डोर हिलाते हैं। जो कमजोर पड़ा वक्त पे धराशाई हो जाते हैं। महंगाई ने कमर तोड़ दी भागमभाग जिंदगी सारी। भ्रष्टाचार ने फन … Continue reading अधर में आदमी | Kavita adhar mein aadmi
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