अन्नपूर्णा हो तुम हमारे घर की | Kavita annapurna ho tum hamare ghar ki

अन्नपूर्णा हो तुम हमारे घर की ( Annapurna ho tum hamare ghar ki )   अन्न-पूर्णा हो तुम हमारे घर की, काम भी घर के सारे तुम करती। कभी प्रेम करती कभी झगड़ती, सारे दुख: व गम तुम सह जाती।। हर घर कहते तुझको गृह लक्ष्मी, कोई कहे रानी व कोई महारानी। काम करे दिन … Continue reading अन्नपूर्णा हो तुम हमारे घर की | Kavita annapurna ho tum hamare ghar ki