बन्धन | Kavita bandhan

बन्धन ( Bandhan )   खुद को भुला के कैसे तुम्हे, प्यार हम करे। हम अस्तित्व को अपने भला, कैसे छोड दे। नदियाँ नही समुन्दर हूँ मै, इतना तो जान ले, मुझमे समा जा या सभी, बन्धन को तोड दे। शिव शक्ति का समागम होगा,गंगा जटाओ मे। रूकमणि को ही कृष्ण मिले, राधा बहारो में। … Continue reading बन्धन | Kavita bandhan