भरत मिलाप | Kavita bharat milap

भरत मिलाप ( Bharat milap )   कैसी लीला रची काल ने वन को चले गये रघुराई दशरथ राम राम कर हारे जब अंत घड़ी बन आई   भ्रातप्रेम व्याकुल भरतजी अवध रास ना आया सेना लेकर चला भक्त भगवन कैसी यह माया   जग का पालनहारा वन में जब वनवासी बन आया पाप बढ़ … Continue reading भरत मिलाप | Kavita bharat milap